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Bangladesh Economic crisis in Hindi.
दोस्तों पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद भारत के एक और पड़ोसी देश यानी बांग्लादेश में अब आर्थिक संकट कहर मचा रहा है। लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीलंका में जैसे ₹500 में दो से तीन अंडे मिल रहे हैं। पेट्रोल, डीजल के दाम लोगों की दम निकाल रहे हैं, ठीक उसी तरह बांग्लादेश में भी आधीरात को एक झटके में पेट्रोल के दाम में लगभग 50% की बढ़ोतरी दी गयी है। आपको शायद ना मालूम हों लेकिन बांग्लादेश ने आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक से अरबों का कब्ज़ा मांगा है और इस देश के पास अब सिर्फ कुछ ही महीनों का भंडार बचा हुआ है।
बांग्लादेश का आर्थिक संकट हिंदी में।
अब आप सोच रहे हो देखिये में भारत को पछाड़ने की आशा रखने वाले बांग्लादेश के हालात अचानक से इतनी खराब कैसे हो गए? और क्या बांग्लादेश भी श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह कंगाल हो जाएगा? तो दोस्तों आज के इस वीडियो को लाया ही इसीलिए गया है ताकि आपको आपके सवालों के जवाब मिल सके। आज हम आपको बताएंगे कि बांग्लादेश की हालत हुई कैसे? क्या वो भी कंगाल होने के कगार पर है और क्या इसमें ड्रैगन देश यानी चाइना का कोई हाथ है? इन सभी सवालों का जवाब आज के वीडियो मिलेगा तो अपना सीट बेल्ट बांध लीजिए अच्छे से और जानते हैं बांग्लादेश के हालात के बारे में दोस्तों आज भले ही बांग्लादेश दिवालिया होने की कगार पर हूँ ।
बांग्लादेश का आर्थिक संकट हिंदी में।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 2020 तक बांग्लादेश पूरी दुनिया में वाहवाही हो रही थी। इतना ही नहीं ऐसे अनुमान लगाए जा रहे थे कि बांग्लादेश आने वाले समय में जीडीपी को लेकर भारत को पीछे पछाड़ देगा। हाँ, वो बात अलग है कि पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश एक गरीब देश हुआ करता था लेकिन धीरे धीरे इस देश ने अपने हालातों पर काबू पा लिया। लेकिन अफसोस की बात ये है की आज एक बार फिर से बांग्लादेश पर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है। देश में बढ़ रहे इकॉनमी क्राइसिस के चलते बांग्लादेश की हालत बहुत ही नाजुक है। बांग्लादेश में इन दिनों जनता सड़कों पर उतर आई है। देश में एक झटके में पेट्रोल की कीमतों में 50% तक बढ़ोतरी करने से वहाँ पर कई शहरों में जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है। लोग सडकों पर उतर सरकार के खिलाफ़ नारेबाजी कर रहे हैं क्योंकि लोग आर्थिक तंगी की वजह से श्रीलंका का जो हाल हुआ उसे देख चूके हैं। इसलिए लोग डर रहे हैं।
बांग्लादेशी बिल्कुल भी अपने देश में ऐसे हालात नहीं चाहते हैं। जीस वजह से आईएमएफ़ से कर्ज़ लेने की खबरों के बीच बांग्लादेश के प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना सरकार ने जब एकदम से जो पेट्रोल के दामों में 51 फीसदी की बढ़ोतरी और डीजल के दामों में 42 फीसदी तक का इजाफा किया लोगों का गुस्सा फूट गया और वो सड़कों पर उतर आए। जनता को काबू करने के लिए पुलिस फोर्स काम कर रहा है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर बांग्लादेश का ये हाल हुआ कैसे? इत्तू आगे जानते हैं वो कारण आज बांग्लादेश में आर्थिक संकट दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है और हम यू नहीं कह रहे हैं बल्कि कुछ रिपोर्ट सामने आई है की हाल ही में बांग्लादेश ने वर्ल्ड बैंक और एशियन डिवेलपमेंट बैंक से अपने देश में इकॉनमी के खतरे को टालने के लिए दो अरब डॉलर की मांग की है।
बांग्लादेश का आर्थिक संकट हिंदी में।
रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि बांग्लादेश ने आई एम एफ यानी इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड इनसे भी आगे
4.5 अरब डॉलर का कर्जा मांगा है। हालांकि बांग्लादेश के चार से 16 अरब डॉलर की बताई जाती रही है। अब आप सोच रहे होंगे की अचानक बांग्लादेश में ऐसा क्या हुआ जो हालात इतने खराब हो गए कि पेट्रोल और डीजल के दाम 50% तक बढ़ाने बढ़ गए हैं? आपको बता दें कि इसके कई कारण हैं जिनमें सबसे बड़ा कारण है रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध। दरअसल, बांग्लादेश दुनिया के उन बड़े देशों में शामिल हैं जो बड़ी संख्या में कपड़ों को एक स्पोर्ट करते हैं। क्लॉथ प्रोडक्शन में बांग्लादेश है, चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से विश्व बाजार में बांग्लादेश के कपड़े की मांग धीमी पड़ गई है। रूस और यूक्रेन के युद्ध के अलावा इस देश की परेशानियों की वजह कोरोना भी रहा है। इसके अलावा रिपोर्ट बताती हैं कि इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट के बड़े डिफरेन्स ने भी इस देश को कंगाली के रास्ते पर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के बीच काफी अंतर बढ़ा है।
Bangladesh Economic crisis in Hindi.
बांग्लादेश की सेंट्रल बैंक की एक रिपोर्ट बताती हैं कि इम्पोर्ट में तेजी आई है, लेकिन एक्सपोर्ट घटा है। यानी देश में सामान आया है भरपूर मात्रा में लेकिन गया है ना के बराबर। रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2021 से लेकर मई 2022 के बीच 17 1.5 अब डॉलर का सामान देश के अंदर लाया गया था, लेकिन इसके मुकाबले देश से सामान गया बहुत कम है। यानी बांग्लादेश ने दूसरे देशों से सामान मंगवाने में ज्यादा डॉलर खर्च किये हैं के बजाय इसके अलावा बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 1 साल में 41.82 अरब डॉलर से घटकर 39.48 अरब डॉलर पर आ गया और इसका असर ये हुआ है कि जून 2022 में बांग्लादेश का व्यापार घाटा 33.3 अरब डॉलर पर पहुँच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की खबर ऐसे समय पर आई जब सरकार ने लग्जरी और गैर जरूरी सामानों के आयात पर रोक लगा दी।
दुसतू इंपोर्ट बढ़ने की वजह से सरकार ने देश में वॉशिंग मशीन, स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेहिकल के रकन ऑडिशन और रेफ्रिजरेटर के इंपोर्ट पर रोक लगा दी है। एक ज़रूरी सामानों पर रोक लगाते हुए देश के फाइनैंस मिनिस्टर ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का जिक्र किया और कहा कि जब समय कठिन होता है तो इस तरह के फैसले लेने पड़ते हैं। अब सवाल ये उठ रहे हैं की क्या बांग्लादेश के हाल भी पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे हो सकते हैं तो इसका जवाब हम आपको देते है। पहली बात बांग्लादेश में महंगाई इस समय 40 साल की अपेक्षा हाइएस्ट है, लेकिन इसके बाद भी वो जून के महीने में 7.9 फीसदी थी।
जबकि पाकिस्तान में 21.3 फीसदी और श्रीलंका में 58.9 फीसदी है। हालांकि तेल की कीमतों में 50% बढ़ोतरी बेशक ही महंगाई को पहले से भी ज्यादा बढ़ेगी, लेकिन पाकिस्तानी श्रीलंका जैसे हालात बांग्लादेश में फिलहाल होते नहीं दिख रहे हैं। इसी तरह विदेशों से आने वाले पैसों यानी विदेशी मुद्रा भंडार की कंडीशन देखी जाए तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दावा किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बाद छह से नौ महीने के इंपोर्ट के लिए विदेशी मुद्रा भंडार है और ये हालात कभी भी किसी देश की तबाही की तरफ तो संकेत नहीं करते हैं।
आमतौर पर जब तीन महीने से कम का विदेशी मुद्रा भंडार बचता है तो वो जरूर किस देश की इकॉनमी के लिए खतरनाक संकेत हो जाते हैं और श्रीलंका और पाकिस्तान इसी हालात में पहुँच चुका है। इसके अलावा बांग्लादेश की जीडीपी से कर्ज के अनुपात से भी फिलहाल श्रीलंका या पाकिस्तान जैसे स्थिति के संकेत नहीं मिल रहे हैं। साल 2021 के आंकड़ों को ही देख ले तो श्रीलंका का जीडीपी के मुकाबले कण अनुपा करीब करीब 100 पहुँच चुका था, जबकि पाकिस्तान करीब 87 फीसदी। वहीं बांग्लादेश का सिर्फ 40 फीसदी था। लुम्बक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश की जो करेन्सी है बांग्लादेशी टका वो पिछले 1 साल में डॉलर के मुकाबले 10% तक गिरी है और इस समय वो $1 के मुकाबले 94 दो सका है। जबकि श्रीलंका के कारण पिछले 1 साल में करीब 44.5 फीसदी और पाकिस्तान की मुद्रा 23 फीसदी गिरी है। अब इन सब आंकड़ों से यह कहना तो गलत होगा कि बांग्लादेश भी श्रीलंका या पाकिस्तान जैसे हालात में है। क्या चीन की काली ने कहा कि बांग्लादेश के अर्थनीति डगमगा रही है? आइये जानते हैं कहते हैं कि जब कोई देश या इंसान मुसीबत में होता है तो पॉवरफुल लोग उसे और ज्यादा गड्ढे में धकेलने की कोशिश करते हैं ताकि उसका सब कुछ वो अपने मुट्ठी में ला सकें। कुछ ऐसी ही मंशा बांग्लादेश की इस हालत पर ड्रैगन चीन की नजर आ रही है। अब आप ये तो जानते ही होंगे।
कि बांग्लादेश में गहरा रहे आर्थिक संकट के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बांग्लादेश का दौरा किया और इस दौरान दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर का सिलसिला भी चला। हालांकि इन हस्ताक्षरों पर कहा तो ये गया कि बांग्लादेश की यात्रा के दौरान वांग यी नहीं मुश्किल समय से निपटने के लिए मदद और कल्चर से जुड़े कुछ समझौतों पर साइन की। लेकिन ड्रैगन की छिपे मंसूबे वक्त के साथ सामने आती है। ड्रैगन की हरकतों और नापाक सोच से हर कोई वाकिफ रहता है।